आज एक बार फिर से,
सूरज को शर्म आई है !
आज एक बार फिर से,
हवाएं गागर भर लायीं हैं !
आज एक बार फिर से,
बिजली ने लपट लहरही है !
आज एक बार फिर से,
बादलों ने ढोल संभाला है !
आज एक बार फिर से,
मेंढक ने पुकार लगायी है !
आज एक बार फिर से,
मिट्टी की ख़ुशबू आई है!
आज एक बार फिर से,
कागज की नाव बनायीं है !
आज एक बार फिर से,
बारीश में भीग जाने का मन हुआ है !
आज एक बार फिर से,
चहरे पे उदासी छाई है !
आज एक बार फिर से,
आँखे भर आयीं है !
आज एक बार फिर से,
घर की याद आई है !