Sunday, June 19, 2011

घर की याद !

आज एक बार फिर से,
सूरज को शर्म आई है !

आज एक बार फिर से,
हवाएं गागर भर लायीं हैं !

आज एक बार फिर से,
बिजली ने लपट लहरही है !

आज एक बार फिर से,
बादलों ने ढोल संभाला है !

आज एक बार फिर से,
मेंढक ने पुकार लगायी है !

आज एक बार फिर से,
मिट्टी की ख़ुशबू आई है!


आज एक बार फिर से,
कागज की नाव बनायीं है !

आज एक बार फिर से,
बारीश में भीग जाने का मन हुआ है !

आज एक बार फिर से,
चहरे पे उदासी छाई है !

आज एक बार फिर से,
आँखे भर आयीं है !

आज एक बार फिर से,
घर की याद आई है !


समर्पित: मेरा देश मेरा गाँव




Friday, June 10, 2011

I Miss You !

I miss you in happiness,
I miss you in pain.

I miss you in desert,
I miss you in rain.

I miss you in bus,
I miss you in train.

I miss you in loss,
I miss you in gain.

I miss you in movie,
I miss you in game.

I miss you in madness,
I miss you in sane.

I miss you in home,
I miss you in Ukraine.

I miss you in freedom,
I miss you in chain.

I miss you in water,
I miss you in plain.

I miss you in hunger,
I miss you in grain.

I miss you in party,
I miss you in drain.

I miss you in praise,
I miss you in complain.

I miss you once
and I miss you again !

Dedicated to "you". . .