Sunday, October 2, 2011

आज फिर से..(her reply)


आज फिर से,
चहकने का मन हुआ है!
आज फिर से,
महकने का मन हुआ है !
आज फिर से,
सजने का मन हुआ है!
आज फिर से,
संवरने का मन हुआ है!
आज फिर से,
भीगने का मन हुआ है!
आज फिर से,
बिखरने का मन हुआ है !
आज फिर से,
इठलाने का मन हुआ है!
आज फिर से,
उछलने का मन हुआ है !
आज फिर से,
 मुस्कराने का मन हुआ है!
आज फिर से,
तुमसे मिलने का मन हुआ है!


Read:आज फिर से(Part I)

आज फिर से ...

आज फिर से, दवात
मैंने भर लाई है !
आज फिर से,काली
स्याही खरीद लाई है !
आज फिर से, नरगद
की कलम बनाई है !
आज फिर से, पुरानी
चेयर उठाई है !
आज फिर से, टेबल 
की धुल उड़ाई है!
आज फिर से, लालटेन 
खुद से जलाई है!
आज फिर से, टाइम-मशीन 
बनाने का मन हुआ है!
आज फिर से, चहरे
पे उदासी छाई है!
आज फिर से, कविता 
लिखने का मन हुआ है!
आज फिर से, तुम्हारी 
याद आई है!

समर्पित: IndiBlogger.in
[Note: I got a poem in reply, which will be posted in few days!]