रामनाम जप ले रे
पगले
पल भर में, पल
बीता जाये
देर न लगा
जगने में
अब सूरज
डूबा जाये
जो रात हुई तो
फिर से तू
सोने की जिद्द लगाये?
इस निद्रा के
चक्कर में
दिन रात तू
पिछड़ा जाये
कहीं ऐसा ना हो
जब तेरी आँख खुले तो
तू खुद को
अकेला पाये
और फिर
सर अपना पकड़ कर
रो रो पश्ताये
अभी देर हुई नहीं
क्यूँ ना तू
फिर से साहस
जुटाये
और दुनिया को
दिखलाये
तू शूरवीर
आर्य पुत्र है
जिससे सूरज भी
शर्माये!
9 comments:
bahut khub!
अभी देर हुई नहीं क्यूँ ना तू फिर से साहस जुटाये और दुनिया को दिखलाये तू शूरवीर आर्य पुत्र है जिससे सूरज भी शर्माये!
बहुत ही सुन्दर भाव,प्रभावशाली रचना ........
Khoobsurat kavita :)
@indu..thanks :)
@ghazala....thanks a lot :)
@others..thanks :)
Here’s something I want to give you. You deserve it.
Congrats !!!
Here it lies
http://anupampatracontemplates.blogspot.in/2012/07/morning-gift.html
@Anupam....LOL :)
but thanks for gift it is nice :)
Very nice attempt.
Last lines are really very inspiring
.
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