तू ही दिल है,
तू दिल्लगी,
अब दिल की लगी, हूँ
करने आया!
तेरा बन के, या
बन के पराया,
तेरे साये में,
बिताने आया, अपनी
हर धूप -छाया !
अपनो को,
करके पराया,
किसमत को अपनी,
तराजू पे रख के,
हे दिल्ली! मैं
तुझसे
मिलने आया!