हे दिल्ली!
तेरी दरिंदगी से,
दिल गया है
मेरा दहल!
क्यूँ रंग रही है
तू अबला के खून से
अपना आँचल!
क्यों सेफ नहीं मैं
तेरे साये में आजकल!
तू ले अब खुद को संभाल
वरना में लूंगी
दूर्गा-काली की शकल
और दूँगी कर
हर भैंसासूर का कतल!
1 comment:
sad sad sitaution
Bikram's
Post a Comment