आज फिर से, दवात
समर्पित: IndiBlogger.in
मैंने भर लाई है !
आज फिर से,काली
स्याही खरीद लाई है !
आज फिर से, नरगद
की कलम बनाई है !
आज फिर से, पुरानी
चेयर उठाई है !
आज फिर से, टेबल
आज फिर से, टेबल
की धुल उड़ाई है!
आज फिर से, लालटेन
खुद से जलाई है!
आज फिर से, टाइम-मशीन
बनाने का मन हुआ है!
आज फिर से, चहरे
पे उदासी छाई है!
आज फिर से, कविता
लिखने का मन हुआ है!
आज फिर से, तुम्हारी
याद आई है!
[Note: I got a poem in reply, which will be posted in few days!]
10 comments:
आज फिर से कविता रचाई है...बहुत खूब!
Wah Wah Bahut Khoob Dost :)
Nice..! Went so smooth..! :)
nice poem....
your way of writing is very nice
keep it up...
very nice...likhte raho....
achcha hein ji... bahut saral kavitha... :)
I'm nt able to read 'her' reply... :-|
Nice one....
बहुत सरल, बहुत खूब.
अति सुन्दर कविता.
very good.
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