Sunday, October 2, 2011

आज फिर से ...

आज फिर से, दवात
मैंने भर लाई है !
आज फिर से,काली
स्याही खरीद लाई है !
आज फिर से, नरगद
की कलम बनाई है !
आज फिर से, पुरानी
चेयर उठाई है !
आज फिर से, टेबल 
की धुल उड़ाई है!
आज फिर से, लालटेन 
खुद से जलाई है!
आज फिर से, टाइम-मशीन 
बनाने का मन हुआ है!
आज फिर से, चहरे
पे उदासी छाई है!
आज फिर से, कविता 
लिखने का मन हुआ है!
आज फिर से, तुम्हारी 
याद आई है!

समर्पित: IndiBlogger.in
[Note: I got a poem in reply, which will be posted in few days!]



10 comments:

Anonymous said...

आज फिर से कविता रचाई है...बहुत खूब!

Neha Arora said...

Wah Wah Bahut Khoob Dost :)

Lalita Singh said...

Nice..! Went so smooth..! :)

SarikaSingh said...

nice poem....
your way of writing is very nice
keep it up...

Satish Mutatkar said...

very nice...likhte raho....

Divya A L said...

achcha hein ji... bahut saral kavitha... :)

Divya A L said...

I'm nt able to read 'her' reply... :-|

Vijay Shenoy said...

Nice one....

Anonymous said...

बहुत सरल, बहुत खूब.
अति सुन्दर कविता.

Atul Tripathi said...

very good.