आज फिर से,
चहकने का मन हुआ है!
आज फिर से,
महकने का मन हुआ है !
आज फिर से,
सजने का मन हुआ है!
आज फिर से,
संवरने का मन हुआ है!
आज फिर से,
भीगने का मन हुआ है!
आज फिर से,
बिखरने का मन हुआ है !
आज फिर से,
इठलाने का मन हुआ है!
आज फिर से,
उछलने का मन हुआ है !
आज फिर से,
मुस्कराने का मन हुआ है!
आज फिर से,
तुमसे मिलने का मन हुआ है!
Read:आज फिर से(Part I)
8 comments:
aaj phir ye padne ka mann hua... aaj phir comment karne ka mann hua...:)
आज आपकी कविता अपनी सरलता और सुन्दरता से चेहरे पे मुस्कान लायी है.
it gives a visualization of most simple life n most appealing is d word u used to describe all...specially d word "time mashine".
आज फिर से,
चहकने का मन हुआ है!
बहुत ही वास्तविक...
आज फ़िर से .... जबरदस्त है।
:) i just woke up and this poem brought a smile :) aaj fir muskane ka man hua hai :)
man ki suno :)
nice one
मुस्कान बिखेरती सुंदर रचना।
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