Sunday, October 2, 2011

आज फिर से..(her reply)


आज फिर से,
चहकने का मन हुआ है!
आज फिर से,
महकने का मन हुआ है !
आज फिर से,
सजने का मन हुआ है!
आज फिर से,
संवरने का मन हुआ है!
आज फिर से,
भीगने का मन हुआ है!
आज फिर से,
बिखरने का मन हुआ है !
आज फिर से,
इठलाने का मन हुआ है!
आज फिर से,
उछलने का मन हुआ है !
आज फिर से,
 मुस्कराने का मन हुआ है!
आज फिर से,
तुमसे मिलने का मन हुआ है!


Read:आज फिर से(Part I)

8 comments:

suman said...

aaj phir ye padne ka mann hua... aaj phir comment karne ka mann hua...:)

Anonymous said...

आज आपकी कविता अपनी सरलता और सुन्दरता से चेहरे पे मुस्कान लायी है.

tammana said...

it gives a visualization of most simple life n most appealing is d word u used to describe all...specially d word "time mashine".

induravisinghj said...

आज फिर से,
चहकने का मन हुआ है!
बहुत ही वास्तविक...

विवेक रस्तोगी said...

आज फ़िर से .... जबरदस्त है।

Anonymous said...

:) i just woke up and this poem brought a smile :) aaj fir muskane ka man hua hai :)

Sujatha Sathya said...

man ki suno :)
nice one

Anonymous said...

मुस्कान बिखेरती सुंदर रचना।