Sunday, June 2, 2013

अनकहा रिस्ता

है नादान और चंचल भी
है समझदार और बच्ची भी
कभी समझाती मुझे बच्चों सा
खुद बन के एक बच्चा !

है भाता मुझे उसका
हर रूप, हर गुण है
नासमझ बने बैठें हैं वो
हूँ मैं सोचता उन्हें समझाने की
पर है डर उनके रूठ जाने का !

देखते हैं ये रिस्ता, जो है अनकहा
उनको कबतक है भाता
क्या पता कल जो उनका मूड बदले
वो रिप्लाई करना बंद कर दें !

2 comments:

Unknown said...

looks like u have a crush on someone :)

gurufrequent said...

@salomi ...nothing new for me ;)